प्यार यदि है नहीं तो मुझको निहारे क्यूं है ?
तू अपने चेहरे पर ग़ुस्से को उभारे क्यूं है ?
मैंने पढ़ ली है तेरे मन की लगन तन की तपन ,
तेरे सांसों तेरी बातों तेरी रातों की जलन ,
तेरे नयनों में सुलगते तेरे सपनो की अगन ,
अपनी विरह को तू रो रो के गुज़ारे क्यूं है ?
प्यार यदि है नहीं तो ………………..
तू अपने चेहरे पर ग़ुस्से ……………….
एक जवाँ मन में कुछ अरमान तो आते ही हैं ,
यह बैरी सावन हैं कुछ दर्द तो लाते ही हैं ,
जवानी आग है और उस पर गिरे जब पानी ,
उठती इस भाप को तू ह्र्दय पर मारे क्यूं है ?
प्यार यदि है नहीं तो ………………..
तू अपने चेहरे पर ग़ुस्से ………………
गलतियां तूने जो की मैंने उन्हें माफ़ किया ,
तूने तड़पाया मुझे फिर भी मन को साफ़ किया ,
चाहती यदि नहीं तो देख मुझे गलियों मैं ,
अपने बालों को गिरा फिर से संवारे क्यूं है ?
प्यार यदि है नहीं तो ………………..
तू अपने चेहरे पर ग़ुस्से ………………
एक तू है जो मुझे प्यार भी न दे पाती ,
मेरी यादों में अपने स्वप्न भी नहीं लाती ,
इतनी कमज़ोर है यदि तू मेरी प्रियतम हो कर ,
मेरी राहों को तू फूलों से संवारे क्यूं है ?
प्यार यदि है नहीं तो ………………..
तू अपने चेहरे पर ग़ुस्से ……………..