Thursday 17 December 2015


वह  जो  सिक्के  उछाल सकता है ,
गोया सब कुछ  संभाल सकता  है I
       कैसी  दुनिया  है यह तो रब जाने ,
       वक़्त  है सब  कमाल   रखता है I
जब भी सोचा के आ गया सब कुछ ,
हर  लम्हा  सौ  सवाल  रखता है I
       आज़माने   चले   जो   लोगों   को ,
       दिल यह  तब से मलाल रखता  है I
भीड़  में  शख्श  जो  अकेला था ,
वह  ही   मेरा   ख्याल  रखता  है I
       नर्म फूलों सा जिसको समझा था ,
       वह तो दिल में जलाल रखता है I
वह  जो  सिक्के  उछाल सकता है ,
गोया  सब  कुछ संभाल सकता  है I 

Tuesday 15 December 2015


चाँद  मुठ्ठी  में  भर  गया  होता ,
हाँ तू गर मुझसे कर गया होता I
        तू  मेरी  आस   मेरा  सपना  है ,
        वरना मैं कब का मर गया होता I
एक  मासूम  मुस्कराहट  से ,
रंग खुआबों में भर गया होता I
        हम सफर जिसका तेरे जैसा हो ,
        क्यों ज़माने से  डर  गया  होता I
इब्तिदा आशकी  से  हो जाती ,
हर लम्हा बस संवर गया होता I
        खुश्बुएं  मौसमों  में  भर  जाती ,
        इश्क़ खुद ही बिखर गया होता I
चाँद  मुठ्ठी  में  भर  गया  होता ,
हाँ तू गर मुझसे कर गया होता I

Wednesday 9 December 2015


आतिश था  मैं  तो  लोग  परेशान हो गए,
आखिर मेँ  मेरे अपने ही अनजान हो गए I  
      बेवजह मुस्कुराया था आहिस्ता इस तरह,
      उठते  सभी  सवाल  खुद आसान हो गए I 
आहट कहीं जो दूर से आई खनक के साथ,
ज़िंदा  सभी  दबे   हुए  अरमान  हो  गए I 
      बस आशना हूँ आपसे कुछ इस तरह से मैं,
      अनजाने  में  ही  मौत के सामन   हो  गए I 
खामोश तेरी यादों में तड़पा  हूँ  तन्हा  मैं,
आगोश में  तेरी देख  सब  हैरान हो गए I 
      आतिश था  मैं  तो  लोग  परेशान हो गए,
      आखिर मेँ  मेरे अपने ही अनजान हो गए I  









Monday 9 November 2015


लोग बेशक तुझे अलग  समझें,
मैं तो खुद में शुमार  करता  हूँ I
       इसलिए फूल  मुझको  प्यारे  हैं,
       उनमें  तेरा   दीदार  करता  हूँ I
मैं    तेरा    एतबार   करता   हूँ,
तू है बस जिस से प्यार करता हूँ I
       लोग ज़ख्मों को खा  कर रोते  हैं,
       मैं  खुशी  का  इज़हार करता  हूँ I
राते  गुज़री  हैं  सारी   यादों  मेँ,
दिन  मेँ  भी  इंतज़ार  करता  हूँ I
        तेरी  परछाइयाँ   भी  प्यारी  हैं,
       धूप   का   इंतज़ार   करता   हूँ I
लोग कलिओं से प्यार करते हैं,
मैं हूँ काँटों से प्यार करता हूँ I
       लोग बेशक तुझे अलग  समझें,
       मैं तो खुद में शुमार  करता  हूँ I
                                           " बेनाम शायर “


Monday 2 November 2015


मेरे  खुआबो  में आ  रहे  हो  तुम ,
सिर्फ  इतना  बता  दिया  होता I
        होश   सारा   उड़ा   दिया   होता ,
        मैंने   दीआ   बुझा  दिया  होता I
बेपनाह प्यार तुझ  से  करता हूँ ,
जीता तुझ से हूँ तुझ से मरता हूँ I
        हर तबस्सुम सजा  लिया  होता,
        दर्द  अपना   छिपा  लिया  होता I
एक  तराना  लबों  पर  आ जाता ,
मुस्कुराना  भी  मुझको आ जाता I
        अपना  आँचल  बढ़ा  दिया  होता ,
        उसमें  मुझको छिपा लिया होता I
तख़्त मिलता और ताज मिल जाता ,
 एक ख़ज़ाने सा राज़ मिल जाता I
        सिर्फ  वादा  निभा   दिया   होता ,
        प्यार  करना  सिखा  दिया  होता I
तू   है  मेरा  और  सिर्फ   मेरा  है ,
रूह  मेरी , जिस्मों जान  मेरी  है I
        जीना मारना  है साथ सदियों तक ,
        बस  यक़ीं  यह  दिला दिया  होता I

Saturday 31 October 2015


उदासिओं क़े समुद्र में ,
डूबा हुआ यह मानव ,
थका थका पागल पथिक सा ,
जीवन की कठोर राहों पर ,
निराश होकर भी ,
संघर्ष कर रहा है I
इस पीढ़ी से ,
लड़ रहा है ,
जी रहा है ऐसे
जैसे यह जीवन ,
उसका नहीं
किसी और का है I
चीख २ कर कहनाचाहता हो,
जी लेने दो मुझे ,
पल दो पल ,
किसी और के लिए I




Wednesday 28 October 2015


सदिओं का रंज  लम्हों की रुस्वाएओं में है ,
हर याद तेरी दिल की इन गहराईओं में  है I
      कैसे  कहूँ  यह  ज़िंदगी  कितनी उदास  है ,
      एहसास  तेरे  होने  का  परछाइओं  में  है I
कितना कहा था प्यार से  दामन समेट लें ,
वह भी मेरी तरह की  ही  तन्हाईओं में  है I
      थकता  नहीं  हूँ  ऐसा  है सुरूर-ए-मुहब्बत ,
      लगता है सफर प्यार की सच्चाईओं में है I
खुआइश यही है मेरी रहे उम्र भर का साथ ,
लज़्ज़त ए दर्द बस इन्ही लम्बाइओं में है I  

Friday 16 October 2015


कुछ तो ठहर जा आँख के आँसू तो पोंछ लूँ ,
आग़ाज़ ए मुहब्बत है यूँ जल्दी नहीं करते I
     आज़माइश इस तरह की मेरी ठीक नहीं है ,
     ज़ख्मों को लगाने में यूँ जल्दी नहीं करते I
यह अब्र ए ज़िन्दगी है थोड़ा  वक़्त तो लेगा ,
बारिश की दुआओ में यूँ जल्दी नहीं करते I
     तिनके  समेट  कर  यह   बनाए  हैं  घरोंदे ,
     बसने में ज़िन्दगी की यूँ जल्दी नहीं करते I
तू  आफताब है  तेरा  जल्वा  है  निराला ,
पर्दा  यह  गिराने  यूँ  जल्दी  नहीं करते I
     हर एक तबस्सुम में क्या तूफ़ान छिपा है ,
     तदबीर  जानने  में  यूँ  जल्दी नहीं करते I


Wednesday 14 October 2015


हसरतों  के   चराग़   जलने  दे ,
कोई  मलता  है हाथ मलने  दे I
     तू तो दरिया सा  बह ही जाएगा ,
     अरमाँ क़तरों के भी निकलने दे I
आरज़ू लेकर जो  बैठें  हैं सनम ,
उनको खुआबों में तू मचलने दे I
     इब्तिदा ही सही मगर क्या ग़म ,
     लज़्ज़ते   इश्क़   मेरा  पलने दे I
अपनी आग़ोश में लेकर मुझको ,
आहिस्ता से मेरा प्यार चलने दे I
     मेरी  खामोश  सदाएं  सुन  ले ,
     दिल को थोड़ा सा तो संभलने दे I

Monday 12 October 2015


ज़बाँ बोले  न  बोले, नक़्श  हैं  दीबार  पर  दिल की,
तेरा  मरहम  तन्हाई  में, रुलाता   है  मुझे  अक्सर I
       न  भूला  हूँ  न  भूलूंगा, यह  है  एहसान–ए-मुहब्बत,
       तेरा  खुआबों का  झगड़ा, यूँ  हंसाता है मुझे अक्सर I
हर एक जज़्बा हर एक शिकबा तू मेरा देख ले हमदम,
हर  एक  बहता  हुआ  आंसू, बताता है मुझे अक्सर I
       मैं  कोई  ग़ैर  नहीं  जो  की खुशियाँ  बाँट दूँ  सब में,
       सिर्फ  तेरा  हूँ  मैं यह , याद  आता  है मुझे अक्सर I
ज़माना  रूठे  मन  जाए, न  कोई  फ़र्क़  पड़ता  है,
तेरा  लम्हों  का दूर जाना, रुलाता है मुझे अक्सर I


                                              

Saturday 10 October 2015


लोग ज़ख्मों को खा के रोते हैं ,
मैं खुशी का इज़हार करता हूँ I
                रातें गुज़री हैं सारी यादों में ,
                दिन में भी इंतज़ार करता हूँ I
मैं    तेरा    एतबार    करता   हूँ  ,
तू है बस जिस से प्यार करता हूँ I
               तेरी  परछाइयाँ   भी  प्यारी हैं ,
               धूप   का   इंतज़ार  करता   हूँ I
लोग  कलियों  को सिर्फ चाहते हैं ,
मैं  हूँ  काँटों  से  प्यार  करता  हूँ I
                                           " बेनाम शायर "
                 

Tuesday 6 October 2015


रोना किसी को याद रहा, या नहीं रहा ,
हंसने  पर मेरे लोग, परेशान हो गए I
      जिनको समझ रहा था मैं, मेरी जुबान हैं ,
      थोड़े से सवालों मेँ ही, बेज़ुबान  हो गए I
मैं क्या कहूँ किससे कहूँ, यह दास्ताँ मेरी ,
गिरते  सभी आंसू, मेरी पहचान हो गए I
      एक उम्र का रिश्ता, जो निभाने मैं चला था ,
      थोड़ी सी बेरुखी से, हम अनजान हो गए I
बंदिश  उसे मानूं मैं, या एहसास-ए-मुहब्बत ,
हँसते ही उस के, ज़हन ओ दिल आसान हो गए I
      खुआइश थी जिन्हे, मुझ को मिटाने की ज़मीं से ,
      खूं  मेरा  क्या  देखा,  के  परेशान  हो  गए I
रोना किसी को याद रहा, या नहीं रहा ,
हंसने  पर मेरे लोग, परेशान हो गए I

Sunday 23 August 2015


आप  नज़रें मिलाते हो क्यूं ?
और फिर मुस्कुराते हो क्यूं ?
                      आप खुआबों में आकर मेरे ,
                      मेरी  नींदें उड़ाते  हो क्यूं ?
चाँदनी की तरह फैलकर ,
चाँद को भी लजाते हो क्यूं ?
                     आप नज़रें मिलाते हो क्यूं ?
                     और फिर मुस्कुराते हो क्यूं ?
बादलों सी घनी ज़ुल्फ़ों से ,
बिजलिओंको गिरते हो क्यूं ?
                      खुशबुओं की तरह फैलकर ,
                      फूलों का मुंह चिड़ाते हो क्यूं ?
आप नज़रें मिलाते हो क्यूं ?
और फिर मुस्कुराते हो क्यूं ?
                      क़तरे क़तरे में  बिखरे हो जो ,
                      उनको साग़र बनाते हो क्यूं ?
जिन की खवाहिश है चाहत तेरी ,
उनका दामन जलाते हो क्यूं ?
                      आप नज़रें मिलाते हो क्यूं ?
                      और फिर मुस्कुराते हो क्यूं ?

Monday 17 August 2015


वफ़ाएं  इस  क़दर मिलती रही हैं इस ज़माने में ,
कोई  दामन  जलाता  है  कोई  दामन बचाता है I
      मैं  क्यूँ  शिकवा करूँ  दीवानगी  हद पर बैठा  हूँ ,
      सज़ाएं दिल को भाती हैं जो कोई दिल दुखाता है I
यह हाथों की लकीरें भी सिमट जाती हैं  मुठ्ठी मेँ ,
हर एक आकर हंसाता है वही पल पल रुलाता है I
      ए दरिया नाज़ ना कर अपने बहने पर तू क्या जाने ,
      मेरा  भी  हाल  ऐसा  है  यह  हर  आंसू  बताता है I
यह खामोशी, यह तन्हाई, यह रुस्वाई अमानत है ,
उसी  की जो की चुपके से मेरे ख्वाबो मेँ आता है I
     चलो  सब  भूल  जाते हैं वह लम्हे दर्द  के हमदम ,
     यह आशिक़ फिर से गर्दन को तेरे आगे झुकाता है I



Sunday 9 August 2015


यह जो लम्हे हैं वह सदिओं मेँ बदल बैठे हैं ,
यह जो आंसू हैं वह नदिओं मेँ बदल बैठे हैं I
      साज़ सब थम गए शहनाई के जानेजाना  ,
      राज़  सब बन गए रुस्वाई के मैंने माना ,
प्यार जिन से था वह सब ग़ायब हैं ए  दोस्त ,
रंग  पक्के   थे   अब    शायद   हैं  ए  दोस्त ,
      वक़्त करबट बदल गया है अब शायद ,
      दोस्त दुश्मन सा बन  गया अब शायद ,
मेरे हमदम तुझे क़सम है मेरी ,
अपने दामन को बचा ले मुझसे ,
      जल  ना  जाए  तू  मेरे  साथ  कहीं ,
      जल  ना  जाए  तू  मेरे  साथ  कहीं I

Saturday 8 August 2015


मैं  अधूरा  हूँ   तू   पूरा  कर   दे,
प्यार कुछ इस तरह से तू कर ले .
       नींद  उड़  जाए  चैन   छिन  जाए ,
       रंग  कुछ  इस  तरह  से  तू  भर  दे .
ज़िन्दगी जब तेरी अमानत   है ,
चाहे  जैसा  तू  दर्द  से  भर  दे .
       मेरे  आंसू , खुशी  का  हर  लम्हा ,
       सब   तेरे   हैं  तू   चाहे   जो  कर  दे .
तेरी  खुशियां  मेरी  अमानत  हैं ,
मेरा  दामन  खुशी  से  तू  भर  दे .
       हर   खुआइश तुझ ही  पर ख़त्म मेरी .
       अपने  हर  खुआब   में   मुझे  भर  ले .


Wednesday 10 June 2015


अपनी ज़ुल्फ़ों को खोल दे फिर से,
मैं  तो  आदी  हूँ ज़ुल्म सहने का.
          नज़रे दरिया को उठा ले ए दोस्त ,
          मैं  तो आदी  हूँ यूँ  ही  बहने का .
मेरी  खामोश  आवाज़ें  सुन  ले ,
मैं  तो  आदी हूँ यूँ  ही  कहने का .
          तू दे ग़म या तू खुशी दे मुझको ,
          मैं  तो  आदी  हूँ यूँ ही रहने का .
अपने  होंटों  को इजाज़त दे  दे , 
मैं  तो  आदी  हूँ ज़हर पीने का .
          सिलसिले खुआबों के टूटें बेशक,
          मैं  तो आदी हूँ मगर  जीने   का.



Monday 11 May 2015


आसमां, चाँद, ज़मी तुझ को   सलामी  देंगे,
तू परिन्दों की तरह प्यार में उड़ कर तो देख.
      यह  ज़माना  भी  बिखर  जाएगा ज़र्रा- ज़र्रा,
      तू भी सच्चाई से इस प्यार में अढ़ कर तो देख.
गिरते  आँसू  ही  मुहब्बत  की गवाही  देंगे,
जाने वाले तू ज़रा प्यार से मुड़कर तो  देख.
      लज़्ज़त -ए- ग़म भी बढ़ जाएगी  तन्हाई में,
      तू भी मेरी ही  तरह प्यार में पढ़ कर तो देख.



Monday 13 April 2015


शबनम, कभी शोला, कभी  बरसात  लगे है ,
हँसता है तो  वह  प्यार की सौग़ात  लगे है I 
        उलझे  हुए  ज़हनों  में घटाओं  सा लगे है ,
        बाहों में आए  प्यार  का  एहसास लगे  है I 
उठती हुई लहरों में नदिओं  की वह अक्सर ,
मौजों  की किनारों  से  मुलाक़ात लगे  है I 
        शिद्दत है  यह  कैसी  कोई  अंदाज़ा लगाए ,
        पीकर  भी  समंदर  को मुझे प्यास लगे है I 
दीवानगी  कैसी  है समझ  में  नहीं  आता , 
धड़कन में मुझे  नग़मे सा एक साज़ लगे है I 
        खुशबू जो बिखरती है फ़िज़ाओं  अब अक्सर ,
        कलिओं  के भी खिलने में मुझे राज़ लगे है I  


Thursday 9 April 2015

Wednesday 8 April 2015


बेवजह  नहीं  बहते  यह  आँख  के  आंसू  हैं ,          
मैं दिल  की  उदासी  को  नज़रों से  बचाता  हूँ I 
            तू  ठेस   लगा  कर  जब  मेरे  पास  से  गुज़रा है ,
            मैं ग़म को भी खुशिओं सा पलकों पर सजाता  हूँ I
 बेवजह  नहीं  बहते  यह  आँख  के ………..            
मैं दिल  की  उदासी  को  नज़रों से  ……….. 
           लम्हों  में  ज़िन्दगी का  सदिओं  सा  मज़ा  लेकर ,
           अहसास  तेरी  यादोँ  का  सीने  में  छिपाता   हूँ I 
बेवजह  नहीं  बहते  यह  आँख  के …………            
मैं दिल  की  उदासी  को  नज़रों से …………
           गिरते  हुए  पत्तों  की  तू  बात   न  कर   हमदम ,
           फूलों  सी   खुशबुएँ  तेरी   साँसों  में  बसाता  हूँ I
बेवजह  नहीं  बहते  यह  आँख  के ………..            
मैं दिल  की  उदासी  को  नज़रों से  ………...
           बिछड़े  हुए  लोगों के क़िस्सों को जब  सुनता  हूँ ,
           रोता  हूँ  मगर  हंसकर  हर  ग़म  को  दबाता  हूँ I 
बेवजह  नहीं  बहते  यह  आँख  के …………..            
मैं दिल  की  उदासी  को  नज़रों से …………..
           चाहत  के  समंदर  में  बहता  हूँ   मैँ   कुछ  ऐसे ,
           हर  सिम्त  तेरा  नग़मा  सुनता  हूँ , सुनाता  हूँ I 
 बेवजह  नहीं  बहते  यह  आँख  के ……………            
मैं दिल  की  उदासी  को  नज़रों से  ……..........

Wednesday 1 April 2015


तुम मेरी याद का एक दीप जलाये रखना ,
सारी दुनिया से मेरा नाम छिपाए रखना I
      जब कोई गीत मेरी याद को कर दे जीवित ,
      अपनी आँखों के हर आंसू को दबाये रखना I
जो भी कांटे तुम्हें दे जायें ज़माने वाले ,
सारे काँटों का मेरा  हार बनाये रखना I
      बंद आँखों में कोई स्वप्न जो आये  मेरा ,
      मेरे हमदम उसे बरसों तक सजाये रखना I
आशा करता हूँ तुम मेरी हो रहोगी मेरी ,
सारे वायदों को मेरे साथ निभाये रखना I
      जब भी  बरसेंगे  जम के  बरसेंगे ए दोस्त ,
      सारे अरमानों के बादल को जमाये रखना I



Saturday 21 March 2015

रूठने   वाले   मन   गए   होते ,
सपने  पलकों  पर पल गए होते ,
         आंसू आँखों में  थम गए होते ,
         तारे  रातों  में  खिल  गए होते ,
काँटे  भी  फूल  बन   गए  होते ,
झरने नदिओं में मिल गए होते ,       
         हसरतों  की फ़िज़ाएं बह जातीं ,
         नक़्श नफरत  के मिट गए होते ,
गिले शिकवे सवाल मिट जाते ,
सारे  दुश्मन भी जल गए होते ,
         मेरे  हमदम  खुआब  इतना  था ,
         आप , मैं  काश  मिल  गए होते .

Thursday 19 March 2015


कब यह कहा था ज़ुल्फ़ का साया मिले मुझे ,
अफ़वाह  इस   शहर  में   न  ऐसी  उड़ाइए I 
        पत्थर का उसका दिल है और शीशे  का मेरा दिल ,
        यह  बात   तंज़    की   नहीं   हिम्मत   बढ़ाइये I
कब यह कहा था ज़ुल्फ़ का साया ……….
अफ़वाह  इस   शहर  में   न  ऐसी ………. 
        मस्त  ज़ुल्फ़ें  नयन  मख्मूर  दहकती  हुई  साँसे ,
        ख़िदमत  जो  मेरे  लायक़  हो   मुझको   बताइए I
कब यह कहा था ज़ुल्फ़ का साया …………
अफ़वाह  इस   शहर  में   न  ऐसी …………
        ममनून    रहूँगा   बढ़ा  मशकूर   रहूंगा ,
        तशरीफ़ कभी  ला  के  मेरा  घर जलाइये I
कब यह कहा था ज़ुल्फ़ का साया …………
अफ़वाह  इस   शहर  में   न  ऐसी …………
        उस न नुकर के पीछे नज़र आता है एक महल ,
        खुआबो   को  इस  तरह  से न अपनी भुलाइए I
कब यह कहा था ज़ुल्फ़ का साया ………….
अफ़वाह  इस   शहर  में   न  ऐसी ………….
        शायर  यह  नग़मे साज़ यह महफ़िल फ़िज़ूल हैं ,
        सीने  में   थिरकती  हुई  वह  धढकन  सुनाइए I
कब यह कहा था ज़ुल्फ़ का साया …………
अफ़वाह  इस   शहर  में   न  ऐसी …………



Sunday 15 March 2015


हर  एक शाम सितारों को याद क्या  करना ,
हर एक पथ पर सहारों को याद क्या करना I
                 यह  एक  डूबते  सूरज  की  तरह  है जीवन ,
                 किसी के तीखे प्रहारों को  याद  क्या करना I
हर  एक दिशा मेरी  मँझदार  में  फसी  नैया ,
डूबते वक़्त  किनारों  को  याद क्या  करना I
                वसंत    आयी   गई   छोड़कर   सूखे   पत्ते ,
                 गुज़रती रूत में बहारों को याद क्या करना I
जो मेरा स्वप्न था भरने का मांग में सिन्दूर,
सिमटते  ऐसे  विचारों को याद क्या करना I
                भुला दिया तुम्हे अब स्वयं का  गीत, संगीत ,
                तुम्हारे बीणा  के तारों को याद क्या करना I
समुद्र   प्यार  का    सूखा  हुआ  हूँ  बैरागी ,
सहमी बूंदों के इशारों को  याद क्या करना I
               जो  बो  गए  मेरे  जीवन  में  प्रेम  के  कांटे ,
               कि  ऐसे  तेरे  इशारों  को याद  क्या करना I
जो  ले  गए  मेरे  ह्रदय   से  प्रेम  की  डोली ,
बेरहम  ऐसे  कहारों   को  याद क्या करना I
              हर  एक शाम सितारों को याद क्या  करना ,
              हर एक पथ पर सहारों को याद क्या करना I




Wednesday 11 March 2015


दूरियां मिटा दो तुम , अपना अब बना लो तुम ,
दास्ताँ बना दो तुम, ज़ख्म फिर लगा  दो  तुम I
        जाम  पिये  हैं  मैने , सैकड़ों   मुहब्बत   के ,
        दर्द भरा प्याला भी,मुझको अब पिला दो तुम I
यूँ  तो  चोट  मैने  भी ,दुश्मनी  मैं  खाई  है ,
दोस्ती की चोटों का,अहसास दिला दो तुम I
       सह सकूंगा यह भी मैं ,पत्थरों को लेकर तुम ,
       मार दो मेरे  सर पर , और  मुस्कुरा  दो तुम I
दिल को तोड़ दो मेरे, है कसम यही तुमको ,
खुआबों के घरोंदे को, पैर से गिरा दो तुम I
      हंस न सके यूँ शायर  आज  इस  ज़माने  में ,
      अंगारों की बारिश से,इस को भी जला दो तुम I

Sunday 8 March 2015


मेरी वफ़ा का किसी  से  सिला नहीं मिलता ,
यही  वजह  है  मुझे  हौंसला  नहीं मिलता I 
        उतर  तो  जाऊं समंदर में उसके साथ मगर ,
        वह फिर डुबा न दे यह फैसला नहीं मिलता I 
धुप  में  ग़म  की  मेरे  साथ  टिक के बैठेगा ,
किसी किताब में यह सिलसिला नहीं मिलता I 
        मैं  उसको  ढूंढ़ते  थकता  नहीं हूँ  गलिओं में ,
        यह अलग बात है खुद का पता नहीं मिलता I 
दिल  की  दीवार  मेरी  भर  गई  है नक़्शों से ,
किसी  भी नक़्श में उसका पता नहीं मिलता I 
        यक़ीन  मुझे  है  कि  क़ातिल  वही  है मेरा भी ,
        कि जिसकी आस्तीं पर कोई निशाँ नहीं मिलता I

Friday 6 March 2015

ग़रीब जब चुप थे,
तब,
आवाज़ें बोलती थीं , 
खामोशी चुप I 
अब ,
ग़रीब बोलने लगे ,
तब,
खामोशी बोलती है,
आवाज़ें चुप I 
जानबूझ कर की गई ,
यह बात I 
कुछ लोगों द्धारा ,
ग़रीबों क़े ,
पेट पर ,
एक और लात I  

Wednesday 4 March 2015


कितने रिश्तों को लिए आए है प्यारी होली ,
कितने मन साफ़ कराए है यह प्यारी होली I 
        भेद  भाव  के  दिए जल चुके जो सीनों में ,
        उन दीओं को ही बुझाए है यह प्यारी होली I  
वह है हिन्दू , वह मुसलमान वह ईसाई है ,
इन विचारों को मिटाए है यह प्यारी होली I 
        गन्दगी घर की हो आँगन की या विचारों की ,
        साफ़ सुथरा करा जाए है यह प्यारी होली I 
नए कपड़ों को पहन कर मिला गले सबको ,
गुजियां रसगुल्ले खिलाए है यह प्यारी होली I 
        लगा गुलाल , रंग फेंके हैं सब गुब्बारों से ,
        कितना आनंद दिलाए है यह प्यारी होली I

Sunday 1 March 2015


कसमों और वादों की किस क़दर मुसीबत है,
जब  भी  प्यार  होता  है  लोग इनसे खेलें हैं I
    आंसुओं  की  बस्ती   में  ज़ख्मों  के  झमेले  हैं ,
    मेरे   दिल  की  बग़िया   में  बागवान  खेलें  हैं I
    कसमों और वादों की किस क़दर……………
    जब  भी  प्यार  होता  है  लोग  ……………..
बिखरे बिखरे बालों से सुर्ख सुर्ख गालों से ,
चैन   छीन   लेते   हैं   ग़मों  में  धकेलें हैं I
कसमों और वादों की किस क़दर ……….
जब  भी  प्यार  होता  है  लोग  …………
    हर क़दम पर साथी नया हर मोड़ पर मंज़िल नयी,
    यह  हैं  फ़ितरतें   उनकी हम  तो  यूँ  अकेले   हैं I
    कसमों और वादों की किस क़दर ………………
    जब  भी  प्यार  होता  है  लोग ………………….
रो रहे हो क्यूं  शायर दिल के  टूट जाने पर ,
संग दिलों की दुनिया है राहज़नों के  मेले हैं I
कसमों और वादों की किस क़दर ………….
जब  भी  प्यार  होता  है  लोग  ……………





Thursday 26 February 2015


मेरे दिल की बात भी दिल में है ,
तेरा   प्यार   तेरी   निगाह  में   I
यह उड़ेगा  क्या  कभी  रेत सा , 
यह   समन्दरो  का   ग़ुरूर   है I 
मेरे दिल की बात भी .............
तेरा   प्यार   तेरी ……………
                           तू  है मेरी  साँसों  का  देवता ,
                           तू  ही धढ़कनो का  सफ़ीर है I
                           तू है बे खबर मेरे दिल से  पूँछ ,
                           जो   तेरे  नशे  में  ही  चूर  है I
                           मेरे  दिल  की  बात भी  ……
                           तेरा   प्यार   तेरी …………
तुझे  चूमता  हूँ नज़र से  मैं ,
तेरे ख़्याल  भी   हैं  इबादतें I
तू  है जिस्मों जाँ पे बसा मेरे ,
हर  सिम्त  तेरा   सुरूर   है I
मेरे   दिल   की   बात  भी……
तेरा    प्यार   तेरी ………….

                           



Wednesday 25 February 2015


कोई जीवन में आ गया होता ,
कोई एक गीत गा गया होता I
                           मेरे मन की उदास बस्ती पर , 
                           गहरे बादल सा छा गया होता I
                           कोई जीवन में आ ………….
                           कोई एक गीत गा ………….
मैं भी प्रेमी हूँ प्रेम का प्यासा ,
प्रेम कर के यह पा गया होता I
कोई जीवन में आ ………..
कोई एक गीत गा …………
                           मेरी साँसों की जलती ज्वाला मैं ,
                           काश कुछ ठण्ड ला गया होता I
                           कोई जीवन में आ ……………
                           कोई एक गीत गा …………….
जब भी आहट हुई तो यह सोचा ,
काश सच मुच वह आ गया होता I
कोई जीवन में आ …………….
कोई एक गीत गा ………………
                           कट ही जाती यह ज़िंदगी सारी ,   
                           यदि कोई दर्द  ला  गया  होता I
                           कोई जीवन में आ …………..
                           कोई एक गीत गा ……………

Tuesday 24 February 2015


आँखों में ख़ुशी चेहरा खिला फूल की तरह ,
रोने का मज़ा दिल  में  लिए  घूमते  हैं  हम I
         क्यूं बाँट दें हम अपनी उस तन्हाई का मंज़र ,
         जो   रात के  साए  में  लिए  घूमते  हैं   हम I
         आँखों में ख़ुशी चेहरा खिला ……………….
         रोने का मज़ा  दिल  में  लिए ……………….
एक प्यास जो  पीकर  न  बुझी  एक समंदर ,
अब ओस की  बूंदों  को  पिए  घूमते हैं हम I
आँखों में ख़ुशी चेहरा खिला ……………..
रोने का मज़ा  दिल  में  लिए ……………..
          हर ज़ुल्मो  सितम  दर्द का दरिया बना दवा ,
          बस याद तेरी दिल  में  लिए  घूमते  हैं  हम I
          आँखों में ख़ुशी चेहरा खिला ……………..
          रोने का मज़ा  दिल  में  लिए ……………..


Friday 20 February 2015


आज  तू   भूल  गया  है  मुझको , 
कल के बारे में भी कुछ सोचा  है I
बोझ   छाएगा   तेरे   सीने   पर , 
हर  क़दम  आंसुओं   में  डूबेगा I
         थर  थरथराएँगे  तेरे   लब  ऐ   दोस्त ,
         पत्थरों   से   जब   तू   यहाँ   जूझेगा I
         लोग पूछेंगे  मेरे बारे में तुझसे ए दोस्त ,
         तू  कहेगा  क़ि  वह  नहीं  मिलता फिर I
हंसेंगे  और  कहेंगे  तुझसे मुस्का  के,
जब  तू  अपनों  का  नहीं  हो  पाया I 
हम  को  तू  कुछ  भी नहीं डे सकता ,
तब  तुझे  आएगी   मेरी   फिर  याद I 
         लेकिन  यह  आईना  मेरे  दिल  का ,
         टूट  जाएगा  चूर  चूर  होगा टुकड़े २ I
         और  तू  जानता   है   ए  दोस्त  मेरे ,
         कांच  और  दिल  टूटकर  एक  बार ,
         नहीं  जुड़  सकते   जुड़  नहीं  सकते I

















Tuesday 17 February 2015


उम्र   भर  साथ  निभाने  की   कसम   खाता  है ,
पहले एक रात मेरे  दिल  में  ठहर कर तो  देख I
             यूं ही करता है बात मरने  की  एक  साथ सनम ,
             पहले  एक  साथ समंदर से ग़ुज़र  कर तो  देख I
             उम्र   भर  साथ ……………………………..
             पहले  एक  रात …………………………….
टूट  जाएँगी हदें वीरानिओं तन्हाईओं कि दोस्त ,
पहले  जज़्बात  की  सीढ़ी से उत्तर कर तो देख I
उम्र  भर  साथ..........................................
पहले एक रात ………………………………  
             किसकी  चाहत  कैसा  रिश्ता सब है दीवानापन , 
             पहले  एहसास की  बंदिश  से  उबर कर तो देख I
            उम्र  भर  साथ..........................................
            पहले एक रात ………………………………  
यूं ही करता है बात मरने  की  एक  साथ सनम ,
पहले  एक  साथ समंदर से ग़ुज़र  कर तो  देख I
उम्र  भर  साथ..........................................
पहले एक रात ………………………………  
             क्यूं उसूलों  के  पहाड़ों  में  छिपा  बैठा  है दोस्त ,
            पहले एक आँख के मोती सा बिखर कर तो  देख I
            उम्र  भर  साथ..........................................
            पहले एक रात…………………………………  

                            


Sunday 15 February 2015


चंद  लम्हात   गुज़र  जाएं  तेरे  दामन  को  थामकर ,
इसी अरमान को लेकर ज़िन्दगी क्या थी क्या करली ?
           दोस्त सुन लेगा दिल की बात ज़माने से क्या लेना ,
           नहीं मालूम था कि कमसिन से मैने दोस्ती कर ली I
चंद  लम्हात   गुज़र  जाएं  तेरे  दामन ………..
इसी अरमान को लेकर ज़िन्दगी क्या  ………..
           यूं तो  मायूसियां,  तन्हाइयां  सब कुछ दिया तुमने ,
          सह गए हंस के जब  तो क्यूं ग़ैर से दोस्ती कर ली ?
चंद  लम्हात   गुज़र  जाएं  तेरे  दामन ………..
इसी अरमान को लेकर ज़िन्दगी क्या  …………
           इश्क हो जाएगा रुसबा छलक जाएंगे गर आंसू ,
           दर्द  के  क़हक़हों  में  ज़ब्त ने खुदकशी कर ली I
चंद  लम्हात   गुज़र  जाएं  तेरे  दामन …………
इसी अरमान को लेकर ज़िन्दगी क्या  ………….

Wednesday 11 February 2015


पथ पर सब भूलकर ,
आगमन पर  तुम्हारे, 
टिकटिकी  बांध ,
पहली नज़र की प्रतीक्षा में ,
व्याकुल बैठा रह जाता हूं I
तुम हो कि , 
नयन झुकाए,
मेरे सपनो को सीढियां बनाकर ,
अपनी अटरिया  पर ,
चढ़ी चली जाती हो ,
परन्तु ,
मैने भी कनकियां ली हैं I 
देखा है कि तुम ,
अपनी खिड़की को ,
अधखुला कर ,
चोरी छिपे झांकती हो मुझे I
परन्तु मैँ ,
तुम्हारी ओर पीठ कर ,
अपने और तुम्हारे ,
मन को ,
धड़कने देता हूं ,
तड़पने देता हूं ,
सच्चे प्रेम का ,
उदाहरण बनकर I




Tuesday 10 February 2015


तुम्हारे रूप की एक झलक ,
आंसुओं को सुखा सकती है I
               कोमल  शरीर  की  यह  महक ,
               सूखे फूलों को खिला सकती है I
वह जो दीवाने तेरे नाम के हैं ,
उनके सपनो को सजा सकती है I
               तेरी  मूरत  को  बना  बैठे  जो ,
               उन बेचारों को हंसा सकती है I
वह जो दम तोड़ने से लगते हैं ,
उनको जीना भी सिखा सकती है I
               वसंत और पतझड़ में क्या अंतर ,
               उनको यह बात बता सकती है I
देख यह सब है प्रार्थना तुमसे ,
स्वप्न में भी न मेरे आना तुम I
               तुम्हारे  रूप  की  यही  झलक ,
               मुझको दीवाना बना सकती है I


Sunday 8 February 2015


कोई नयनों को झुकाया न करे ,
लाज से मुखड़ा छिपाया न  करे I
                       उठती इच्छाएं  बदन की  पीड़ा ,
                      हर  दुपहरी में  दबाया   न  करे I
                       कोई नयनों को झुकाया ………
                       लाज से मुखड़ा छिपाया ………
शांत  सावन  की  सदाओं  जैसा ,
विरहा  संगीत   सुनाया   न  करे I
कोई नयनों को झुकाया ………..
लाज से मुखड़ा छिपाया ……….
                       अपनी सुन्दर सी जवानी का मध् ,
                       गर्म  सांसों  में  मिलाया   न  करे I
                       कोई नयनों को झुकाया ………..
                       लाज से मुखड़ा छिपाया ………..
नयनों  की  तृष्णा  रातों  की पीड़ा ,
गोरे  चेहरे  पर  दिखाया   न  करे I
कोई नयनों को झुकाया …………
लाज से मुखड़ा छिपाया …………
                       आह  के   साथ  अपनी  अंगड़ाई ,
                       खुले  चौराहे  पर  लाया  न   करे I 
                       कोई नयनों को झुकाया ……….. 
                       लाज से मुखड़ा छिपाया ………..

                            






















Thursday 5 February 2015


आप  संगसार   कर   के   रोते  हैं ,
 हम हैं पत्थर भी खा कर हँसते  हैं I 
             आप  क़तरों  की  बात  करते  हैं ,
             हम हैं झरनो  की  बात  करते  हैं I
रोक  कर  आँख  के सभी  आंसू ,
हम  हैं नख़रों  की  बात करते  हैं I
             आप  संगसार  कर  के ………
             हम  हैं पत्थर भी खा   ………
हर  सितम फूल सा सजाकर हम ,
अपने दामन को  साफ़  रखते  हैं I
             आप   नींदों   की  बात   करते  हैं ,
             हम  हैं जगने  की  बात  करते  हैं I 
आप  संगसार  कर  के ……….
हम  हैं पत्थर भी खा   ………..
             यह निशानी से कम नहीं ए दोस्त ,
             आपके   ज़ख्म   साथ   रखते  हैं I 
चंद  लम्हों  की  बात  क्या  करना ,
हम  हैं  सदिओं  का साथ  रखते  हैं I
             आप  संगसार  कर  के ……….
             हम  हैं पत्थर भी खा …………

Monday 2 February 2015


बेज़ुबानी भी कहा करती है क़िस्सा दिल  का ,
आ  किसी  लफ्ज़  को होंठों  में दबाकर  देखें I
              आ किसी प्यार को पलकों पर बिठा कर  देखें ,
              आ  किसी  प्यास  को शोलों से बुझा कर देखें I
तूने चाहा न सही मैने तुझे  चाहा है  लम्हा 2 ,
आ किसी ख़्वाब को सदिओं में समा कर देखें I
             दिल  की  बेताबिओं, तन्हाईओं के  मौसम में ,
             आ किसी आस को अँखिओं में सजा कर देखें I
खूने  दिल  देकर  जिन्हें सींचा था मैने  बरसों ,
आ  उन्हीं  फूलों को नदिओं  में बहा कर देखें I
             खेल क़िस्मत का सही दर्द सफर का है तबील ,
             आ   इसी  हाल  में यादों   को भुला  कर देखें I

Wednesday 28 January 2015


कपकपाये  होठ  दामन  हो  गया  अश्कों   से  तर ,
फिर किसी ने आज मुझको कह दिया जो हम सफर I
      दर्दे  दिल  दर्दे  जिगर कुछ इस तरह बख्शा गया ,
      अब  करम  का  ज़िक्र होते ही मुझे लगता है डर I
      कपकपाये होठ दामन  हो  गया अश्कों ………
      फिर किसी ने आज मुझको कह दिया ……….
हर लम्हा  जिस  शख्श  को  पूजा  गया  चाहा गया ,
बेरूखी एक पल की उसकी रखती सदिओं काअसर I 
कपकपाये होठ दामन  हो  गया अश्कों ………
फिर किसी ने आज मुझको कह दिया ……….
     सब्र  की  कोशिश  में  सारी  रात  पी  है  चांदनी ,
     ये  दिले  नादाँ  करें  क्या  होने  वाली  है  सहर I
     कपकपाये   होठ   दामन  हो  गया  अश्कों…….
     फिर किसी ने आज मुझको कह दिया …………


Monday 26 January 2015


प्यार के गर मैं क़ाबिल नहीं,
आप दिल ही  दुखा  दीजिये.
                            आप को गर उजाले मिलें,
                             मेरा घर भी जला दीजिये.
प्यार के इस जज़ीरे में आप,
चंद   पहलू   बढ़ा    दीजिये,
                             यह मुहब्बत है छलकें नहीं,
                             आंसुओं  को   बता  दीजिये.
एक खिलौना समझ कर यह दिल,
अपने   घर  में   सजा   दीजिए.
                              ज़ख्म हंस हंस के देकर मुझे,
                              ज़ब्ते ग़म  की  दुआ दीजिये .
मेरी बर्बादी और आप उदास,
मुझको कुछ तो सिला दीजिए .
                             याद  कर  कर  के काट जायेगी,
                             ज़िंदगी    भर    दग़ा   दीजिये.










Thursday 22 January 2015


प्यार यदि  है  नहीं  तो मुझको  निहारे  क्यूं  है ?
तू  अपने  चेहरे  पर  ग़ुस्से  को  उभारे  क्यूं  है ?
       मैंने  पढ़ ली है  तेरे मन की लगन  तन की तपन ,
       तेरे   सांसों   तेरी  बातों   तेरी  रातों  की  जलन ,
       तेरे  नयनों  में  सुलगते   तेरे   सपनो  की  अगन ,
       अपनी विरह को  तू  रो  रो  के  गुज़ारे   क्यूं  है ?
प्यार यदि है नहीं  तो  ………………..       
तू अपने चेहरे पर ग़ुस्से ……………….
       एक जवाँ  मन में  कुछ  अरमान  तो आते  ही  हैं ,
       यह  बैरी  सावन  हैं   कुछ  दर्द   तो  लाते  ही  हैं ,
       जवानी आग है और  उस  पर  गिरे  जब    पानी ,
       उठती  इस  भाप को  तू ह्र्दय  पर  मारे  क्यूं  है ?
प्यार यदि है नहीं  तो  ………………..
तू अपने चेहरे  पर  ग़ुस्से ………………
       गलतियां तूने  जो  की  मैंने उन्हें  माफ़   किया ,
       तूने  तड़पाया मुझे  फिर भी मन को साफ़ किया ,
       चाहती  यदि  नहीं  तो   देख   मुझे   गलियों   मैं ,
       अपने बालों को   गिरा फिर  से  संवारे  क्यूं   है ?
प्यार यदि है नहीं  तो  ………………..
तू अपने चेहरे पर  ग़ुस्से ………………
       एक  तू  है  जो  मुझे  प्यार  भी   न  दे  पाती ,
       मेरी यादों  में  अपने स्वप्न   भी  नहीं   लाती ,
       इतनी कमज़ोर है यदि  तू मेरी प्रियतम हो कर ,
       मेरी राहों   को  तू  फूलों  से  संवारे   क्यूं   है ?
प्यार यदि है नहीं  तो  ………………..
तू अपने  चेहरे  पर  ग़ुस्से ……………..




Wednesday 21 January 2015


आशा के दीप साँसे अपनी तोड़ने लगे हैं ,
कांटे भी आज मेरा दामन छोड़ने लगे हैं I
            जुआलाएँ बुझी जा रहीं हैं आंसुओं से आज ,
            यादों  के  गीत  मुझसे  नाता तोड़ने लगे हैं I
            आशा के दीप साँसे अपनी ……………….
            कांटे भी आज मेरा दामन  ………………..
तितली से उड़ा करते थे आँगन मैं मेरे जो ,
वह आज मुझे देखकर मुहं मोड़ने लगे हैं I
आशा के दीप साँसे अपनी …………….
कांटे भी आज मेरा दामन  ……………..
            सौगंध खाया  करते थे जीने की साथ साथ ,
            औरों  के  साथ  रिश्ते  नाते जोड़ने लगे हैं I
            आशा के दीप साँसे अपनी ………………
            कांटे भी आज मेरा दामन   ………………
ए दोस्तों अपने सभी अरमान  मिटा  लो ,
कष्टों की चादर हम तो रोज़ ओढ़ने लगे हैं I
आशा के दीप साँसे अपनी ……………..
कांटे भी आज मेरा दामन   ………………