बेवजह नहीं बहते यह आँख के आंसू हैं ,
मैं दिल की उदासी को नज़रों से बचाता हूँ I
तू ठेस लगा कर जब मेरे पास से गुज़रा है ,
मैं ग़म को भी खुशिओं सा पलकों पर सजाता हूँ I
बेवजह नहीं बहते यह आँख के ………..
मैं दिल की उदासी को नज़रों से ………..
लम्हों में ज़िन्दगी का सदिओं सा मज़ा लेकर ,
अहसास तेरी यादोँ का सीने में छिपाता हूँ I
बेवजह नहीं बहते यह आँख के …………
मैं दिल की उदासी को नज़रों से …………
गिरते हुए पत्तों की तू बात न कर हमदम ,
फूलों सी खुशबुएँ तेरी साँसों में बसाता हूँ I
बेवजह नहीं बहते यह आँख के ………..
मैं दिल की उदासी को नज़रों से ………...
बिछड़े हुए लोगों के क़िस्सों को जब सुनता हूँ ,
रोता हूँ मगर हंसकर हर ग़म को दबाता हूँ I
बेवजह नहीं बहते यह आँख के …………..
मैं दिल की उदासी को नज़रों से …………..
चाहत के समंदर में बहता हूँ मैँ कुछ ऐसे ,
हर सिम्त तेरा नग़मा सुनता हूँ , सुनाता हूँ I
बेवजह नहीं बहते यह आँख के ……………
मैं दिल की उदासी को नज़रों से ……..........
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