वह जो सिक्के उछाल सकता है ,
कैसी दुनिया है यह तो रब जाने ,
वक़्त है सब कमाल रखता है I
जब भी सोचा के आ गया सब कुछ ,
हर लम्हा सौ सवाल रखता है I
आज़माने चले जो लोगों को ,
दिल यह तब से मलाल रखता है I
भीड़ में शख्श जो अकेला था ,
वह ही मेरा ख्याल रखता है I
नर्म फूलों सा जिसको समझा था ,
वह तो दिल में जलाल रखता है I
वह जो सिक्के उछाल सकता है ,
गोया सब कुछ संभाल सकता है I