Thursday 17 December 2015


वह  जो  सिक्के  उछाल सकता है ,
गोया सब कुछ  संभाल सकता  है I
       कैसी  दुनिया  है यह तो रब जाने ,
       वक़्त  है सब  कमाल   रखता है I
जब भी सोचा के आ गया सब कुछ ,
हर  लम्हा  सौ  सवाल  रखता है I
       आज़माने   चले   जो   लोगों   को ,
       दिल यह  तब से मलाल रखता  है I
भीड़  में  शख्श  जो  अकेला था ,
वह  ही   मेरा   ख्याल  रखता  है I
       नर्म फूलों सा जिसको समझा था ,
       वह तो दिल में जलाल रखता है I
वह  जो  सिक्के  उछाल सकता है ,
गोया  सब  कुछ संभाल सकता  है I 

Tuesday 15 December 2015


चाँद  मुठ्ठी  में  भर  गया  होता ,
हाँ तू गर मुझसे कर गया होता I
        तू  मेरी  आस   मेरा  सपना  है ,
        वरना मैं कब का मर गया होता I
एक  मासूम  मुस्कराहट  से ,
रंग खुआबों में भर गया होता I
        हम सफर जिसका तेरे जैसा हो ,
        क्यों ज़माने से  डर  गया  होता I
इब्तिदा आशकी  से  हो जाती ,
हर लम्हा बस संवर गया होता I
        खुश्बुएं  मौसमों  में  भर  जाती ,
        इश्क़ खुद ही बिखर गया होता I
चाँद  मुठ्ठी  में  भर  गया  होता ,
हाँ तू गर मुझसे कर गया होता I

Wednesday 9 December 2015


आतिश था  मैं  तो  लोग  परेशान हो गए,
आखिर मेँ  मेरे अपने ही अनजान हो गए I  
      बेवजह मुस्कुराया था आहिस्ता इस तरह,
      उठते  सभी  सवाल  खुद आसान हो गए I 
आहट कहीं जो दूर से आई खनक के साथ,
ज़िंदा  सभी  दबे   हुए  अरमान  हो  गए I 
      बस आशना हूँ आपसे कुछ इस तरह से मैं,
      अनजाने  में  ही  मौत के सामन   हो  गए I 
खामोश तेरी यादों में तड़पा  हूँ  तन्हा  मैं,
आगोश में  तेरी देख  सब  हैरान हो गए I 
      आतिश था  मैं  तो  लोग  परेशान हो गए,
      आखिर मेँ  मेरे अपने ही अनजान हो गए I