Tuesday 2 October 2018

उदास   रातों   के   मंज़र    मुझे   सताएंगे,
ख़ुदा के  वास्ते  तन्हाईओं  की बात न  कर I
किसी  की  आँखों  के साग़र  मुझे बुलाएंगे,
ख़ुदा के वास्ते गहराईओं  की बात  न  कर I
उदास   रातों   के   मंज़र ………………
ख़ुदा के  वास्ते  तन्हाईओं ………………
किसी  की  ज़ुल्फ़ के  साए  भी  याद आएंगे,
ख़ुदा  के वास्ते  परछाइओं  की बात  न कर I
उदास   रातों   के   मंज़र ………………..
ख़ुदा के  वास्ते  तन्हाईओं ……………….
छलक न  जाएं  कहीं  आँख से  मेरे  आंसू,
ख़ुदा के वास्ते शहनाइओं  की  बात न  कर I
उदास   रातों   के   मंज़र ………………..
ख़ुदा के  वास्ते  तन्हाईओं ……………….
उभर न जाएं कहीं अनदिखे वह नक्श ए सितम,
ख़ुदा  के  वास्ते अंगड़ाईओं की बात न  कर I
उदास   रातों   के   मंज़र ………………….
ख़ुदा के  वास्ते  तन्हाईओं …………………