Saturday 31 October 2015


उदासिओं क़े समुद्र में ,
डूबा हुआ यह मानव ,
थका थका पागल पथिक सा ,
जीवन की कठोर राहों पर ,
निराश होकर भी ,
संघर्ष कर रहा है I
इस पीढ़ी से ,
लड़ रहा है ,
जी रहा है ऐसे
जैसे यह जीवन ,
उसका नहीं
किसी और का है I
चीख २ कर कहनाचाहता हो,
जी लेने दो मुझे ,
पल दो पल ,
किसी और के लिए I




Wednesday 28 October 2015


सदिओं का रंज  लम्हों की रुस्वाएओं में है ,
हर याद तेरी दिल की इन गहराईओं में  है I
      कैसे  कहूँ  यह  ज़िंदगी  कितनी उदास  है ,
      एहसास  तेरे  होने  का  परछाइओं  में  है I
कितना कहा था प्यार से  दामन समेट लें ,
वह भी मेरी तरह की  ही  तन्हाईओं में  है I
      थकता  नहीं  हूँ  ऐसा  है सुरूर-ए-मुहब्बत ,
      लगता है सफर प्यार की सच्चाईओं में है I
खुआइश यही है मेरी रहे उम्र भर का साथ ,
लज़्ज़त ए दर्द बस इन्ही लम्बाइओं में है I  

Friday 16 October 2015


कुछ तो ठहर जा आँख के आँसू तो पोंछ लूँ ,
आग़ाज़ ए मुहब्बत है यूँ जल्दी नहीं करते I
     आज़माइश इस तरह की मेरी ठीक नहीं है ,
     ज़ख्मों को लगाने में यूँ जल्दी नहीं करते I
यह अब्र ए ज़िन्दगी है थोड़ा  वक़्त तो लेगा ,
बारिश की दुआओ में यूँ जल्दी नहीं करते I
     तिनके  समेट  कर  यह   बनाए  हैं  घरोंदे ,
     बसने में ज़िन्दगी की यूँ जल्दी नहीं करते I
तू  आफताब है  तेरा  जल्वा  है  निराला ,
पर्दा  यह  गिराने  यूँ  जल्दी  नहीं करते I
     हर एक तबस्सुम में क्या तूफ़ान छिपा है ,
     तदबीर  जानने  में  यूँ  जल्दी नहीं करते I


Wednesday 14 October 2015


हसरतों  के   चराग़   जलने  दे ,
कोई  मलता  है हाथ मलने  दे I
     तू तो दरिया सा  बह ही जाएगा ,
     अरमाँ क़तरों के भी निकलने दे I
आरज़ू लेकर जो  बैठें  हैं सनम ,
उनको खुआबों में तू मचलने दे I
     इब्तिदा ही सही मगर क्या ग़म ,
     लज़्ज़ते   इश्क़   मेरा  पलने दे I
अपनी आग़ोश में लेकर मुझको ,
आहिस्ता से मेरा प्यार चलने दे I
     मेरी  खामोश  सदाएं  सुन  ले ,
     दिल को थोड़ा सा तो संभलने दे I

Monday 12 October 2015


ज़बाँ बोले  न  बोले, नक़्श  हैं  दीबार  पर  दिल की,
तेरा  मरहम  तन्हाई  में, रुलाता   है  मुझे  अक्सर I
       न  भूला  हूँ  न  भूलूंगा, यह  है  एहसान–ए-मुहब्बत,
       तेरा  खुआबों का  झगड़ा, यूँ  हंसाता है मुझे अक्सर I
हर एक जज़्बा हर एक शिकबा तू मेरा देख ले हमदम,
हर  एक  बहता  हुआ  आंसू, बताता है मुझे अक्सर I
       मैं  कोई  ग़ैर  नहीं  जो  की खुशियाँ  बाँट दूँ  सब में,
       सिर्फ  तेरा  हूँ  मैं यह , याद  आता  है मुझे अक्सर I
ज़माना  रूठे  मन  जाए, न  कोई  फ़र्क़  पड़ता  है,
तेरा  लम्हों  का दूर जाना, रुलाता है मुझे अक्सर I


                                              

Saturday 10 October 2015


लोग ज़ख्मों को खा के रोते हैं ,
मैं खुशी का इज़हार करता हूँ I
                रातें गुज़री हैं सारी यादों में ,
                दिन में भी इंतज़ार करता हूँ I
मैं    तेरा    एतबार    करता   हूँ  ,
तू है बस जिस से प्यार करता हूँ I
               तेरी  परछाइयाँ   भी  प्यारी हैं ,
               धूप   का   इंतज़ार  करता   हूँ I
लोग  कलियों  को सिर्फ चाहते हैं ,
मैं  हूँ  काँटों  से  प्यार  करता  हूँ I
                                           " बेनाम शायर "
                 

Tuesday 6 October 2015


रोना किसी को याद रहा, या नहीं रहा ,
हंसने  पर मेरे लोग, परेशान हो गए I
      जिनको समझ रहा था मैं, मेरी जुबान हैं ,
      थोड़े से सवालों मेँ ही, बेज़ुबान  हो गए I
मैं क्या कहूँ किससे कहूँ, यह दास्ताँ मेरी ,
गिरते  सभी आंसू, मेरी पहचान हो गए I
      एक उम्र का रिश्ता, जो निभाने मैं चला था ,
      थोड़ी सी बेरुखी से, हम अनजान हो गए I
बंदिश  उसे मानूं मैं, या एहसास-ए-मुहब्बत ,
हँसते ही उस के, ज़हन ओ दिल आसान हो गए I
      खुआइश थी जिन्हे, मुझ को मिटाने की ज़मीं से ,
      खूं  मेरा  क्या  देखा,  के  परेशान  हो  गए I
रोना किसी को याद रहा, या नहीं रहा ,
हंसने  पर मेरे लोग, परेशान हो गए I