कपकपाये होठ दामन हो गया अश्कों से तर ,
फिर किसी ने आज मुझको कह दिया जो हम सफर I
दर्दे दिल दर्दे जिगर कुछ इस तरह बख्शा गया ,
अब करम का ज़िक्र होते ही मुझे लगता है डर I
कपकपाये होठ दामन हो गया अश्कों ………
फिर किसी ने आज मुझको कह दिया ……….
हर लम्हा जिस शख्श को पूजा गया चाहा गया ,
बेरूखी एक पल की उसकी रखती सदिओं काअसर I
कपकपाये होठ दामन हो गया अश्कों ………
फिर किसी ने आज मुझको कह दिया ……….
सब्र की कोशिश में सारी रात पी है चांदनी ,
ये दिले नादाँ करें क्या होने वाली है सहर I
कपकपाये होठ दामन हो गया अश्कों…….
फिर किसी ने आज मुझको कह दिया …………