Sunday 11 January 2015


कितना   सुंदर   गोरी    तेरा   रूप   श्रृंगार , 
जहाँ जो तुझको देखे वहीं हो जाए  विराम I 
काली    घनी    घटाओं    जैसे    गेसू  तेरे ,
ठहर  गई   हो   जैसे  हिमालय   पर  शाम I
कितना   सुंदर   गोरी    तेरा ……………. 
जहाँ जो तुझको देखे वहीं हो ……………. 
झुके  झुके  यह  नयन तेरे  कहते  हो  मनो , 
आ  जाओ  पी  जाओ   मैं   हूँ  तेरा  जाम I
कितना   सुंदर   गोरी    तेरा …………… 
जहाँ जो तुझको देखे वहीं हो …………… 
गावं की गलियां झूम उठे हैं मन ही मन  में , 
देख   तुझे  चौबारे   बैठें   दिल   को  थाम I
कितना   सुंदर   गोरी    तेरा …………… 
जहाँ जो तुझको देखे वहीं हो …………… 
पथिक  जो  कोई  देखे  होंटों  पर  मुस्कान , 
भूल जाए  है अपनी  मंज़िल  अपने  काम I
कितना   सुंदर   गोरी    तेरा ……………. 
जहाँ जो तुझको देखे वहीं हो …………… 
सुंदरता की   मूरत   ओ  परिओं  की  रानी , 
कर   दर्शन   तेरे   भुला  मैं  अपना   नाम I
कितना   सुंदर   गोरी    तेरा ……………. 
जहाँ जो तुझको देखे वहीं हो …………… 

                            


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