जहाँ जो तुझको देखे वहीं हो जाए विराम I
काली घनी घटाओं जैसे गेसू तेरे ,
ठहर गई हो जैसे हिमालय पर शाम I
कितना सुंदर गोरी तेरा …………….
जहाँ जो तुझको देखे वहीं हो …………….
झुके झुके यह नयन तेरे कहते हो मनो ,
आ जाओ पी जाओ मैं हूँ तेरा जाम I
कितना सुंदर गोरी तेरा ……………
जहाँ जो तुझको देखे वहीं हो ……………
गावं की गलियां झूम उठे हैं मन ही मन में ,
देख तुझे चौबारे बैठें दिल को थाम I
कितना सुंदर गोरी तेरा ……………
जहाँ जो तुझको देखे वहीं हो ……………
पथिक जो कोई देखे होंटों पर मुस्कान ,
भूल जाए है अपनी मंज़िल अपने काम I
कितना सुंदर गोरी तेरा …………….
जहाँ जो तुझको देखे वहीं हो ……………
सुंदरता की मूरत ओ परिओं की रानी ,
कर दर्शन तेरे भुला मैं अपना नाम I
कितना सुंदर गोरी तेरा …………….
जहाँ जो तुझको देखे वहीं हो ……………
No comments:
Post a Comment