प्यार के गर मैं क़ाबिल नहीं,
आप दिल ही दुखा दीजिये.
आप को गर उजाले मिलें,
मेरा घर भी जला दीजिये.
प्यार के इस जज़ीरे में आप,
चंद पहलू बढ़ा दीजिये,
यह मुहब्बत है छलकें नहीं,
आंसुओं को बता दीजिये.
एक खिलौना समझ कर यह दिल,
अपने घर में सजा दीजिए.
ज़ख्म हंस हंस के देकर मुझे,
ज़ब्ते ग़म की दुआ दीजिये .
मेरी बर्बादी और आप उदास,
मुझको कुछ तो सिला दीजिए .
याद कर कर के काट जायेगी,
ज़िंदगी भर दग़ा दीजिये.
No comments:
Post a Comment