दूरियां मिटा दो तुम , अपना अब बना लो तुम ,
दास्ताँ बना दो तुम, ज़ख्म फिर लगा दो तुम I
जाम पिये हैं मैने , सैकड़ों मुहब्बत के ,
दर्द भरा प्याला भी,मुझको अब पिला दो तुम I
यूँ तो चोट मैने भी ,दुश्मनी में खाई है ,
दोस्ती की चोटों का,अहसास दिला दो तुम I
सह सकूंगा यह भी मैं ,पत्थरों को लेकर तुम ,
मार दो मेरे सर पर , और मुस्कुरा दो तुम I
दिल को तोड़ दो मेरे, है कसम यही तुमको ,
खुआबों के घरोंदे को, पैर से गिरा दो तुम I
हंस न सके यूँ शायर आज इस ज़माने में ,
अंगारों की बारिश से,इस को भी जला दो तुम I
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