Wednesday 28 January 2015


कपकपाये  होठ  दामन  हो  गया  अश्कों   से  तर ,
फिर किसी ने आज मुझको कह दिया जो हम सफर I
      दर्दे  दिल  दर्दे  जिगर कुछ इस तरह बख्शा गया ,
      अब  करम  का  ज़िक्र होते ही मुझे लगता है डर I
      कपकपाये होठ दामन  हो  गया अश्कों ………
      फिर किसी ने आज मुझको कह दिया ……….
हर लम्हा  जिस  शख्श  को  पूजा  गया  चाहा गया ,
बेरूखी एक पल की उसकी रखती सदिओं काअसर I 
कपकपाये होठ दामन  हो  गया अश्कों ………
फिर किसी ने आज मुझको कह दिया ……….
     सब्र  की  कोशिश  में  सारी  रात  पी  है  चांदनी ,
     ये  दिले  नादाँ  करें  क्या  होने  वाली  है  सहर I
     कपकपाये   होठ   दामन  हो  गया  अश्कों…….
     फिर किसी ने आज मुझको कह दिया …………


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