तेरा अंगड़ाई का लेना मुस्कुराना याद है ,
तुझसे आँखे चार होना प्यार पाना याद है Iसुबह होते साँझ ढलते देख तेरा बांकपन ,
नयन झपकाना तेरा फिर से उठाना याद है I
बरत कर सयंम को अपने आप पर बैठा था मैं ,
पर तेरा सावन में आ पायल बजाना याद है I
आंसुओं की आग में वह डूबना जलना तेरा ,
सिसकिओं ही सिसकिओं में नींद आना याद है I
हर दोपहरी में मुझे आकर वह तेरा ढूंढना ,
पानी बिन मछली सा तेरा फड़फड़ाना याद है I
लाज को तजकर तेरा मंदिर में आकर बैठना ,
मुझको पाने के लिए घंटा बजाना याद है I
लांघ आना एक इशारे पर तेरा बाबुल का घर ,
इस अनूठे प्रेम को रो रो भुलाना याद है I
थाम कर आँचल तेरा पहुंचा हूँ मैं अब यह कहाँ ,
मुझको अपनी ही सदाओं का सताना याद है I
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