तू सुलगते रेत की प्यास है I
तेरा जिस्म गंगा सा है पवित्र ,
तेरे नयनों में तो आकाश है I
तेरे रूप रंग के सामने ,
है व्यर्थ कल्पना स्वर्ग की I
तेरा बांकपन तेरा तृप्त मन ,
उगते सूरज का इतिहास है I
तू किसी कवि की............
तेरे केश साँझ की सांस है ,
तेरे होंठ पपीहे की प्यास है I
स्वभाव पुष्पों सा है खिला ,
हर शब्द एक मिठास है I
तू किसी कवि की.............
तू हंसे तो खिलते गुलाब हैं I
तेरी नींद घास पर ओस सी ,
तेरा जगना प्रातः आभास है I
तू किसी कवि की.............
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