तू जो जाता है सिहर जाता हूँ I
यह कैसी प्यास है बुझती नहीं कुछ भी पीकर ,
यह कैसी चाहत है रुकती नहीं कुछ भी सह कर I
अजनबी हादसों से घबराकर ऐसा बेताब हूँ दीवाना हूँ ,
तिश्नगी ऐसी समंदर पी लूँ बेबसी है की ठहर जाता हूँ I
तू जो आता है संबरता है दिल,
तू जो जाता है सिहर जाता हूँ I
भूल भी जा मुझे गुज़रे हुए मौसम की तरह ,
याद न कर मुझे सूखे हुए सावन की तरह I
मैं चाहूंगा भुला कर देखूं प्यार के घर को जला कर देखूं ,
तूने सजा रख्खी है ऐसी डगर बेबसी है कि गुज़र जाता हूँ I
तू जो आता है संबरता है दिल ,
तू जो जाता है सिहर जाता हूँ I
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