तू ही तू ए सनम मेरी आँहों में है ,
बढ़ता हर एक क़दम तेरे राहों में है I
तेरा एहसास झीलों की गहराई में,
तेरी खुशबू ही बिखरी फ़िज़ाओं में है I
तू ही तू ए सनम मेरी आँहों ………
बढ़ता हर एक क़दम तेरे राहों ………
दर्द सहता हूँ हँसता हूँ तन्हाई में ,
यह मज़ा सिर्फ तेरी सज़ाओं में है I
तू ही तू ए सनम मेरी आँहों ………
बढ़ता हर एक क़दम तेरे राहों ………
उछले पत्थर भी फूलों की बारिश लगे,
यह मज़ा सिर्फ तेरी अदाओं में है I
तू ही तू ए सनम मेरी आँहों ………
बढ़ता हर एक क़दम तेरे राहों ………
जिसके लफ़्ज़ों से क़दमों में बेड़ी लगें ,
वह मज़ा सिर्फ तेरी सदाओं में है I
तू ही तू ए सनम मेरी आँहों ………
बढ़ता हर एक क़दम तेरे राहों ………
तैरने की खुआइश भी कहने लगी ,
डूबने का मज़ा तेरी बाँहों में है I
तू ही तू ए सनम मेरी आँहों ………
बढ़ता हर एक क़दम तेरे राहों ………
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