तुम देखो हो जब भी दर्पण , दर्पण खुद इतरा जाता है ,
झांक तुम्हारे नयनों में , दुल्हन सा शरमा जाता है I
घिरती सनम घटाएं कैसे , सावन कैसे आ जाता है ,
क्या होती है प्यास किसी की , कैसे कोई बुझा पाता है I
तुम देखो हो जब भी दर्पण ...........................
झांक तुम्हारे नयनों में ………………………….........
फूल खिले मधुवन में कैसे , कसक उठे है मन में कैसे ,
बहती हवा आँगन में कैसे , अगन जले है मन में कैसे ,
झांक तुम्हारे नयनों में , सारे उत्तर पा जाता है I
तुम देखो हो जब भी दर्पण ..........................
झांक तुम्हारे नयनों में ……………………….........
जब देखे वह रूप तुम्हारा, मन ही मन मुस्का जाता है ,
प्यार का चुम्बन कैसे होता, होंठों से यह पा जाता है ,
डूब तुम्हारे नयनों में , दुल्हन सा शरमा जाता है I
तुम देखो हो जब भी दर्पण ...........................
झांक तुम्हारे नयनों में ………………………….........
अंगड़ाई आती है कैसे , सपनों के गलियारों में ,
पथिक डूब जाता है कैसे, बीड़ा के सुन्दर तारों में ,
डूब तुम्हारे नयनों में, दुल्हन सा शरमा जाता है I
तुम देखो हो जब भी दर्पण ...........................
झांक तुम्हारे नयनों में ………………………….........
मुस्काया जाता है कैसे , शरमाया जाता है कैसे ,
यही सीखने के लालच में , वह भी खुद शर्मा जाता है ,
डूब तुम्हारे नयनों में , दुल्हन सा शरमा जाता है I
तुम देखो हो जब भी दर्पण ...........................
झांक तुम्हारे नयनों में ………………………….........
झांक तुम्हारे नयनों में , दुल्हन सा शरमा जाता है I
घिरती सनम घटाएं कैसे , सावन कैसे आ जाता है ,
क्या होती है प्यास किसी की , कैसे कोई बुझा पाता है I
तुम देखो हो जब भी दर्पण ...........................
झांक तुम्हारे नयनों में ………………………….........
फूल खिले मधुवन में कैसे , कसक उठे है मन में कैसे ,
बहती हवा आँगन में कैसे , अगन जले है मन में कैसे ,
झांक तुम्हारे नयनों में , सारे उत्तर पा जाता है I
तुम देखो हो जब भी दर्पण ..........................
झांक तुम्हारे नयनों में ……………………….........
जब देखे वह रूप तुम्हारा, मन ही मन मुस्का जाता है ,
प्यार का चुम्बन कैसे होता, होंठों से यह पा जाता है ,
डूब तुम्हारे नयनों में , दुल्हन सा शरमा जाता है I
तुम देखो हो जब भी दर्पण ...........................
झांक तुम्हारे नयनों में ………………………….........
अंगड़ाई आती है कैसे , सपनों के गलियारों में ,
पथिक डूब जाता है कैसे, बीड़ा के सुन्दर तारों में ,
डूब तुम्हारे नयनों में, दुल्हन सा शरमा जाता है I
तुम देखो हो जब भी दर्पण ...........................
झांक तुम्हारे नयनों में ………………………….........
मुस्काया जाता है कैसे , शरमाया जाता है कैसे ,
यही सीखने के लालच में , वह भी खुद शर्मा जाता है ,
डूब तुम्हारे नयनों में , दुल्हन सा शरमा जाता है I
तुम देखो हो जब भी दर्पण ...........................
झांक तुम्हारे नयनों में ………………………….........
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