Saturday 9 September 2017


    तिनके  समेट  कर   यह   बनाए   हैं  घरोंदे ,
    बसने  में  ज़िन्दगी  की यूँ जल्दी नहीं करते I
    कुछ तो ठहर जा आँख के आँसू तो पोंछ लूँ ,
    आग़ाज़ ए मुहब्बत है यूँ  जल्दी नहीं  करते I

Saturday 25 February 2017

तेरा  एहसास  झीलों  की  गहराई   में,
तेरी खुशबू ही बिखरी फ़िज़ाओं में है I
            तू  ही  तू  ए सनम  मेरी आँहों ………
            बढ़ता  हर एक क़दम  तेरे राहों ………
दर्द  सहता हूँ   हँसता  हूँ  तन्हाई  में ,
यह  मज़ा  सिर्फ  तेरी सज़ाओं  में  है I
            तू  ही  तू  ए सनम  मेरी आँहों ………
            बढ़ता  हर एक क़दम  तेरे राहों ………
उछले  पत्थर  भी फूलों की बारिश लगे,
यह मज़ा सिर्फ तेरी अदाओं में  है I
            तू  ही  तू  ए सनम  मेरी आँहों ………
            बढ़ता  हर एक क़दम  तेरे राहों ………
 जिसके लफ़्ज़ों से क़दमों में बेड़ी लगें ,
वह  मज़ा   सिर्फ  तेरी  सदाओं  में  है I
            तू  ही  तू  ए सनम  मेरी आँहों ………
            बढ़ता  हर एक क़दम  तेरे राहों ………
तैरने  की  खुआइश  भी  कहने  लगी ,
डूबने   का   मज़ा   तेरी   बाँहों   में  है I
            तू  ही  तू  ए सनम  मेरी आँहों ………
            बढ़ता  हर एक क़दम  तेरे राहों ………