Saturday 21 March 2015

रूठने   वाले   मन   गए   होते ,
सपने  पलकों  पर पल गए होते ,
         आंसू आँखों में  थम गए होते ,
         तारे  रातों  में  खिल  गए होते ,
काँटे  भी  फूल  बन   गए  होते ,
झरने नदिओं में मिल गए होते ,       
         हसरतों  की फ़िज़ाएं बह जातीं ,
         नक़्श नफरत  के मिट गए होते ,
गिले शिकवे सवाल मिट जाते ,
सारे  दुश्मन भी जल गए होते ,
         मेरे  हमदम  खुआब  इतना  था ,
         आप , मैं  काश  मिल  गए होते .

Thursday 19 March 2015


कब यह कहा था ज़ुल्फ़ का साया मिले मुझे ,
अफ़वाह  इस   शहर  में   न  ऐसी  उड़ाइए I 
        पत्थर का उसका दिल है और शीशे  का मेरा दिल ,
        यह  बात   तंज़    की   नहीं   हिम्मत   बढ़ाइये I
कब यह कहा था ज़ुल्फ़ का साया ……….
अफ़वाह  इस   शहर  में   न  ऐसी ………. 
        मस्त  ज़ुल्फ़ें  नयन  मख्मूर  दहकती  हुई  साँसे ,
        ख़िदमत  जो  मेरे  लायक़  हो   मुझको   बताइए I
कब यह कहा था ज़ुल्फ़ का साया …………
अफ़वाह  इस   शहर  में   न  ऐसी …………
        ममनून    रहूँगा   बढ़ा  मशकूर   रहूंगा ,
        तशरीफ़ कभी  ला  के  मेरा  घर जलाइये I
कब यह कहा था ज़ुल्फ़ का साया …………
अफ़वाह  इस   शहर  में   न  ऐसी …………
        उस न नुकर के पीछे नज़र आता है एक महल ,
        खुआबो   को  इस  तरह  से न अपनी भुलाइए I
कब यह कहा था ज़ुल्फ़ का साया ………….
अफ़वाह  इस   शहर  में   न  ऐसी ………….
        शायर  यह  नग़मे साज़ यह महफ़िल फ़िज़ूल हैं ,
        सीने  में   थिरकती  हुई  वह  धढकन  सुनाइए I
कब यह कहा था ज़ुल्फ़ का साया …………
अफ़वाह  इस   शहर  में   न  ऐसी …………



Sunday 15 March 2015


हर  एक शाम सितारों को याद क्या  करना ,
हर एक पथ पर सहारों को याद क्या करना I
                 यह  एक  डूबते  सूरज  की  तरह  है जीवन ,
                 किसी के तीखे प्रहारों को  याद  क्या करना I
हर  एक दिशा मेरी  मँझदार  में  फसी  नैया ,
डूबते वक़्त  किनारों  को  याद क्या  करना I
                वसंत    आयी   गई   छोड़कर   सूखे   पत्ते ,
                 गुज़रती रूत में बहारों को याद क्या करना I
जो मेरा स्वप्न था भरने का मांग में सिन्दूर,
सिमटते  ऐसे  विचारों को याद क्या करना I
                भुला दिया तुम्हे अब स्वयं का  गीत, संगीत ,
                तुम्हारे बीणा  के तारों को याद क्या करना I
समुद्र   प्यार  का    सूखा  हुआ  हूँ  बैरागी ,
सहमी बूंदों के इशारों को  याद क्या करना I
               जो  बो  गए  मेरे  जीवन  में  प्रेम  के  कांटे ,
               कि  ऐसे  तेरे  इशारों  को याद  क्या करना I
जो  ले  गए  मेरे  ह्रदय   से  प्रेम  की  डोली ,
बेरहम  ऐसे  कहारों   को  याद क्या करना I
              हर  एक शाम सितारों को याद क्या  करना ,
              हर एक पथ पर सहारों को याद क्या करना I




Wednesday 11 March 2015


दूरियां मिटा दो तुम , अपना अब बना लो तुम ,
दास्ताँ बना दो तुम, ज़ख्म फिर लगा  दो  तुम I
        जाम  पिये  हैं  मैने , सैकड़ों   मुहब्बत   के ,
        दर्द भरा प्याला भी,मुझको अब पिला दो तुम I
यूँ  तो  चोट  मैने  भी ,दुश्मनी  मैं  खाई  है ,
दोस्ती की चोटों का,अहसास दिला दो तुम I
       सह सकूंगा यह भी मैं ,पत्थरों को लेकर तुम ,
       मार दो मेरे  सर पर , और  मुस्कुरा  दो तुम I
दिल को तोड़ दो मेरे, है कसम यही तुमको ,
खुआबों के घरोंदे को, पैर से गिरा दो तुम I
      हंस न सके यूँ शायर  आज  इस  ज़माने  में ,
      अंगारों की बारिश से,इस को भी जला दो तुम I

Sunday 8 March 2015


मेरी वफ़ा का किसी  से  सिला नहीं मिलता ,
यही  वजह  है  मुझे  हौंसला  नहीं मिलता I 
        उतर  तो  जाऊं समंदर में उसके साथ मगर ,
        वह फिर डुबा न दे यह फैसला नहीं मिलता I 
धुप  में  ग़म  की  मेरे  साथ  टिक के बैठेगा ,
किसी किताब में यह सिलसिला नहीं मिलता I 
        मैं  उसको  ढूंढ़ते  थकता  नहीं हूँ  गलिओं में ,
        यह अलग बात है खुद का पता नहीं मिलता I 
दिल  की  दीवार  मेरी  भर  गई  है नक़्शों से ,
किसी  भी नक़्श में उसका पता नहीं मिलता I 
        यक़ीन  मुझे  है  कि  क़ातिल  वही  है मेरा भी ,
        कि जिसकी आस्तीं पर कोई निशाँ नहीं मिलता I

Friday 6 March 2015

ग़रीब जब चुप थे,
तब,
आवाज़ें बोलती थीं , 
खामोशी चुप I 
अब ,
ग़रीब बोलने लगे ,
तब,
खामोशी बोलती है,
आवाज़ें चुप I 
जानबूझ कर की गई ,
यह बात I 
कुछ लोगों द्धारा ,
ग़रीबों क़े ,
पेट पर ,
एक और लात I  

Wednesday 4 March 2015


कितने रिश्तों को लिए आए है प्यारी होली ,
कितने मन साफ़ कराए है यह प्यारी होली I 
        भेद  भाव  के  दिए जल चुके जो सीनों में ,
        उन दीओं को ही बुझाए है यह प्यारी होली I  
वह है हिन्दू , वह मुसलमान वह ईसाई है ,
इन विचारों को मिटाए है यह प्यारी होली I 
        गन्दगी घर की हो आँगन की या विचारों की ,
        साफ़ सुथरा करा जाए है यह प्यारी होली I 
नए कपड़ों को पहन कर मिला गले सबको ,
गुजियां रसगुल्ले खिलाए है यह प्यारी होली I 
        लगा गुलाल , रंग फेंके हैं सब गुब्बारों से ,
        कितना आनंद दिलाए है यह प्यारी होली I

Sunday 1 March 2015


कसमों और वादों की किस क़दर मुसीबत है,
जब  भी  प्यार  होता  है  लोग इनसे खेलें हैं I
    आंसुओं  की  बस्ती   में  ज़ख्मों  के  झमेले  हैं ,
    मेरे   दिल  की  बग़िया   में  बागवान  खेलें  हैं I
    कसमों और वादों की किस क़दर……………
    जब  भी  प्यार  होता  है  लोग  ……………..
बिखरे बिखरे बालों से सुर्ख सुर्ख गालों से ,
चैन   छीन   लेते   हैं   ग़मों  में  धकेलें हैं I
कसमों और वादों की किस क़दर ……….
जब  भी  प्यार  होता  है  लोग  …………
    हर क़दम पर साथी नया हर मोड़ पर मंज़िल नयी,
    यह  हैं  फ़ितरतें   उनकी हम  तो  यूँ  अकेले   हैं I
    कसमों और वादों की किस क़दर ………………
    जब  भी  प्यार  होता  है  लोग ………………….
रो रहे हो क्यूं  शायर दिल के  टूट जाने पर ,
संग दिलों की दुनिया है राहज़नों के  मेले हैं I
कसमों और वादों की किस क़दर ………….
जब  भी  प्यार  होता  है  लोग  ……………