लोग बेशक तुझे अलग समझें,
मैं तो खुद में शुमार करता हूँ I
इसलिए फूल मुझको प्यारे हैं,
उनमें तेरा दीदार करता हूँ I
मैं तेरा एतबार करता हूँ,
तू है बस जिस से प्यार करता हूँ I
लोग ज़ख्मों को खा कर रोते हैं,
मैं खुशी का इज़हार करता हूँ I
राते गुज़री हैं सारी यादों मेँ,
दिन मेँ भी इंतज़ार करता हूँ I
तेरी परछाइयाँ भी प्यारी हैं,
धूप का इंतज़ार करता हूँ I
लोग कलिओं से प्यार करते हैं,
मैं हूँ काँटों से प्यार करता हूँ I
लोग बेशक तुझे अलग समझें,
मैं तो खुद में शुमार करता हूँ I
" बेनाम शायर “