Monday 11 May 2015


आसमां, चाँद, ज़मी तुझ को   सलामी  देंगे,
तू परिन्दों की तरह प्यार में उड़ कर तो देख.
      यह  ज़माना  भी  बिखर  जाएगा ज़र्रा- ज़र्रा,
      तू भी सच्चाई से इस प्यार में अढ़ कर तो देख.
गिरते  आँसू  ही  मुहब्बत  की गवाही  देंगे,
जाने वाले तू ज़रा प्यार से मुड़कर तो  देख.
      लज़्ज़त -ए- ग़म भी बढ़ जाएगी  तन्हाई में,
      तू भी मेरी ही  तरह प्यार में पढ़ कर तो देख.