आप नज़रें मिलाते हो क्यूं ?
और फिर मुस्कुराते हो क्यूं ?
आप खुआबों में आकर मेरे ,
मेरी नींदें उड़ाते हो क्यूं ?
चाँदनी की तरह फैलकर ,
चाँद को भी लजाते हो क्यूं ?
आप नज़रें मिलाते हो क्यूं ?
और फिर मुस्कुराते हो क्यूं ?
बादलों सी घनी ज़ुल्फ़ों से ,
बिजलिओंको गिरते हो क्यूं ?
खुशबुओं की तरह फैलकर ,
फूलों का मुंह चिड़ाते हो क्यूं ?
आप नज़रें मिलाते हो क्यूं ?
और फिर मुस्कुराते हो क्यूं ?
क़तरे क़तरे में बिखरे हो जो ,
उनको साग़र बनाते हो क्यूं ?
जिन की खवाहिश है चाहत तेरी ,
उनका दामन जलाते हो क्यूं ?
आप नज़रें मिलाते हो क्यूं ?
और फिर मुस्कुराते हो क्यूं ?