Wednesday 24 August 2016


पहली नज़र की प्रतीक्षा में ,
व्याकुल बैठा रह जाता हूं ,
पथ पर सब भूलकर ,
आगमन पर तुहारे ,
टिकटिकी  बांध I
तुम हो कि ,
नयन झुकाए,
मेरे सपनो को सीढियां बनाकर ,
अपनी अटरिया  पर ,
चढ़ी चली जाती हो ,
परन्तु ,
मैने भी कनकियां ली हैं I 
देखा है कि तुम ,
अपनी खिड़की को ,
अधखुला कर ,
चोरी छिपे झांकती हो मुझे I
परन्तु मैँ ,
तुम्हारी ओर पीठ कर ,
अपने और तुम्हारे ,
मन को ,
धड़कने देता हूं ,
तड़पने देता हूं ,
सच्चे प्रेम का ,
उदाहरण बनकर I