Monday 5 January 2015




शाम की छाया ज़ुल्फ़ है तेरी सुबह का सूरज मूरत है ,
किस चेहरे की बात करें  जब  सामने  तेरी  सूरत है I
मन जब पंछी बनकर प्रियतम उड़ने लगे तूफानों में भी ,
मौत है क्या और जीवन क्या है सोचे जो वह  मूरख है I
    शाम की छाया ज़ुल्फ़ ...............................
    किस  चेहरे  की  बात ……………………………….......
आशाओं   की  दीवारें   हैं  यादों   की  घर  की   छत  है ,
साँसों का उपवन नयनो का दर्पण इन चीज़ों की ज़रुरत है I
    शाम की छाया ज़ुल्फ़ ...............................
    किस  चेहरे  की  बात ……………………………….......
कम्पित होठ धड़कता सीना साँसों मैं ज्वालाएँ सी उठती ,
विरह  की  रातें  काटे  न कटती  कुछ  भी न तेरा पूरक है I
    शाम की छाया ज़ुल्फ़ ..............................
    किस  चेहरे  की  बात …………………………….........


                            




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