शाम की छाया ज़ुल्फ़ है तेरी सुबह का सूरज मूरत है ,
किस चेहरे की बात करें जब सामने तेरी सूरत है I
मन जब पंछी बनकर प्रियतम उड़ने लगे तूफानों में भी ,
मौत है क्या और जीवन क्या है सोचे जो वह मूरख है I
शाम की छाया ज़ुल्फ़ ...............................
किस चेहरे की बात ……………………………….......
आशाओं की दीवारें हैं यादों की घर की छत है ,
साँसों का उपवन नयनो का दर्पण इन चीज़ों की ज़रुरत है I
शाम की छाया ज़ुल्फ़ ...............................
किस चेहरे की बात ……………………………….......
कम्पित होठ धड़कता सीना साँसों मैं ज्वालाएँ सी उठती ,
विरह की रातें काटे न कटती कुछ भी न तेरा पूरक है I
शाम की छाया ज़ुल्फ़ ..............................
किस चेहरे की बात …………………………….........
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