Tuesday 15 December 2015


चाँद  मुठ्ठी  में  भर  गया  होता ,
हाँ तू गर मुझसे कर गया होता I
        तू  मेरी  आस   मेरा  सपना  है ,
        वरना मैं कब का मर गया होता I
एक  मासूम  मुस्कराहट  से ,
रंग खुआबों में भर गया होता I
        हम सफर जिसका तेरे जैसा हो ,
        क्यों ज़माने से  डर  गया  होता I
इब्तिदा आशकी  से  हो जाती ,
हर लम्हा बस संवर गया होता I
        खुश्बुएं  मौसमों  में  भर  जाती ,
        इश्क़ खुद ही बिखर गया होता I
चाँद  मुठ्ठी  में  भर  गया  होता ,
हाँ तू गर मुझसे कर गया होता I

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