चाँद मुठ्ठी में भर गया होता ,
हाँ तू गर मुझसे कर गया होता I
तू मेरी आस मेरा सपना है ,वरना मैं कब का मर गया होता I
एक मासूम मुस्कराहट से ,
रंग खुआबों में भर गया होता I
हम सफर जिसका तेरे जैसा हो ,
क्यों ज़माने से डर गया होता I
इब्तिदा आशकी से हो जाती ,
हर लम्हा बस संवर गया होता I
खुश्बुएं मौसमों में भर जाती ,
इश्क़ खुद ही बिखर गया होता I
चाँद मुठ्ठी में भर गया होता ,
हाँ तू गर मुझसे कर गया होता I
No comments:
Post a Comment