आज तू भूल गया है मुझको ,
कल के बारे में भी कुछ सोचा है I
बोझ छाएगा तेरे सीने पर ,
हर क़दम आंसुओं में डूबेगा I
थर थरथराएँगे तेरे लब ऐ दोस्त ,
पत्थरों से जब तू यहाँ जूझेगा I
लोग पूछेंगे मेरे बारे में तुझसे ए दोस्त ,
तू कहेगा क़ि वह नहीं मिलता फिर I
हंसेंगे और कहेंगे तुझसे मुस्का के,
जब तू अपनों का नहीं हो पाया I
हम को तू कुछ भी नहीं डे सकता ,
तब तुझे आएगी मेरी फिर याद I
लेकिन यह आईना मेरे दिल का ,
टूट जाएगा चूर चूर होगा टुकड़े २ I
और तू जानता है ए दोस्त मेरे ,
कांच और दिल टूटकर एक बार ,
नहीं जुड़ सकते जुड़ नहीं सकते I
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