कोई नयनों को झुकाया न करे ,
लाज से मुखड़ा छिपाया न करे I
उठती इच्छाएं बदन की पीड़ा ,
हर दुपहरी में दबाया न करे I
कोई नयनों को झुकाया ………
लाज से मुखड़ा छिपाया ………
शांत सावन की सदाओं जैसा ,
विरहा संगीत सुनाया न करे I
कोई नयनों को झुकाया ………..
लाज से मुखड़ा छिपाया ……….
अपनी सुन्दर सी जवानी का मध् ,
गर्म सांसों में मिलाया न करे I
कोई नयनों को झुकाया ………..
लाज से मुखड़ा छिपाया ………..
नयनों की तृष्णा रातों की पीड़ा ,
गोरे चेहरे पर दिखाया न करे I
कोई नयनों को झुकाया …………
लाज से मुखड़ा छिपाया …………
आह के साथ अपनी अंगड़ाई ,
खुले चौराहे पर लाया न करे I
कोई नयनों को झुकाया ………..
लाज से मुखड़ा छिपाया ………..
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