Tuesday 10 February 2015


तुम्हारे रूप की एक झलक ,
आंसुओं को सुखा सकती है I
               कोमल  शरीर  की  यह  महक ,
               सूखे फूलों को खिला सकती है I
वह जो दीवाने तेरे नाम के हैं ,
उनके सपनो को सजा सकती है I
               तेरी  मूरत  को  बना  बैठे  जो ,
               उन बेचारों को हंसा सकती है I
वह जो दम तोड़ने से लगते हैं ,
उनको जीना भी सिखा सकती है I
               वसंत और पतझड़ में क्या अंतर ,
               उनको यह बात बता सकती है I
देख यह सब है प्रार्थना तुमसे ,
स्वप्न में भी न मेरे आना तुम I
               तुम्हारे  रूप  की  यही  झलक ,
               मुझको दीवाना बना सकती है I


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