Tuesday 24 February 2015


आँखों में ख़ुशी चेहरा खिला फूल की तरह ,
रोने का मज़ा दिल  में  लिए  घूमते  हैं  हम I
         क्यूं बाँट दें हम अपनी उस तन्हाई का मंज़र ,
         जो   रात के  साए  में  लिए  घूमते  हैं   हम I
         आँखों में ख़ुशी चेहरा खिला ……………….
         रोने का मज़ा  दिल  में  लिए ……………….
एक प्यास जो  पीकर  न  बुझी  एक समंदर ,
अब ओस की  बूंदों  को  पिए  घूमते हैं हम I
आँखों में ख़ुशी चेहरा खिला ……………..
रोने का मज़ा  दिल  में  लिए ……………..
          हर ज़ुल्मो  सितम  दर्द का दरिया बना दवा ,
          बस याद तेरी दिल  में  लिए  घूमते  हैं  हम I
          आँखों में ख़ुशी चेहरा खिला ……………..
          रोने का मज़ा  दिल  में  लिए ……………..


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