तू आफताब है तेरा जल्वा है निराला , (Ghazal continue)
पर्दा यह उठाने में यूँ जल्दी नहीं करते I
हर एक तबस्सुम में क्या तूफ़ान छिपा है ,
तदबीर जानने में यूँ जल्दी नहीं करते I
कुछ तो ठहर जा आँख के आँसू तो पोंछ लूँ ,
आग़ाज़ ए मुहब्बत है यूँ जल्दी नहीं करते I
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